बुधवार, नवंबर 23, 2011

जगजीत सिंह की याद में...

उठा सुराही ये शीशा-ओ-जाम ले साकी


उठा सुराही ये शीशा-ओ-जाम ले साकी

फिर उसके बाद खुदा का भी नाम ले साकी

उठा सुराही ये शीशा-ओ-जाम ले साकी



फिर उसके बाद हमें तिशनगी रहे न रहे

कुछ और देर मुरौव्वात काम से काम ले साकी

उठा सुराही....



फिर उसके बाद जो होगा वो देखा जायेगा

अभी तो पीने पिलाने से काम ले साकी

उठा सुराही...



तेरे हुज़ूर में होशो-खिरद से क्या हाशिल

नहीं मय तो निगाहों से काम ले साकी

उठा सुराही ये शीशा-ओ-जाम ले साकी

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