बुधवार, दिसंबर 23, 2009
सोमवार, दिसंबर 14, 2009
चंद शेर
यही है ज़िंदगी, कुछ ख़ाक चंद उम्मीदें ,
इन्ही खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो.
मेरे महबूब ने वादा किया है पांचवें दिन का
किसी से सुन लिया है जिंदगी है चार दिन की
तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
जहाँ उम्मीद हो इसकी, वहाँ नहीं मिलता
-निदा फाजली
इन्ही खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो.
मेरे महबूब ने वादा किया है पांचवें दिन का
किसी से सुन लिया है जिंदगी है चार दिन की
तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
जहाँ उम्मीद हो इसकी, वहाँ नहीं मिलता
-निदा फाजली
गुरुवार, अप्रैल 30, 2009
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