दिनांक : 22.12.2018
समय : शाम 05:05
एक बड़ा सा ट्रैवेलर बैग ढेर सारे कपड़ों से भरा जा चुका था.एक हैंडबैग में खाने की सामग्री से लैश होकर भोपाल के लिए कूच करने ही वाले थे कि एक धमाकेदार मैसेज से मोबाइल की स्क्रीन चमकी.भोपाल जाने के लिए लिया गया वेटिंग टिकट वेटिंग ही रह गया था और श्रीमती जी का भोपाल जाना स्थगित.
- हालाँकि पता नहीं क्यों चेहरे पर मायूसी के बजाय मुस्कान बरकरार थी.ऐसा अक्सर नहीं होता.पत्नियों के लिए मायका हमेशा से अति विशिष्ट होता है.आइये कुछ मजेदार बात समझते हैं.थोड़ा गौर कीजियेगा.हर पत्नी के लिए उसका मायका उसके पति के घर से कई गुना बेहतर होता है.मसलन मेरी मां को भी मेरे नानी गाँव की हर चीज़ हमारे यहाँ से बेहतर लगती है.हालाँकि हमें ऐसा बिलकुल नहीं लगता.मतलब पीढ़ी दर पीढ़ी पीछे जांय तो मायका बेहतर और बेहतर और बेहतर ..अब दूसरा पक्ष लेते हैं.बतौर जावेद अख्तर, पति को हमेशा उसके माँ के हाथ का खाना पत्नी से बेहतर लगता है.यानि पीढ़ी दर पीढ़ी खाने की क़्वालिटी ख़राब और ख़राब और ख़राब..आनेवाली पीढ़ी और ख़राब खाना खायेगी क्योंकि मां से अच्छा तो कोई बना ही नहीं सकता..चलो जी ये हुई मजाक की बात.अब आगे बढ़ते हैं.