गुरुवार, जून 05, 2014

बानगी

(तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी हैरान हूँ मैं...)

आज उसका फोन आया.उसने कहा सिगरेट छोड़ी की नहीं.बस एक दो पी लेता हूँ.उसने कहा दोस्त क्यों मैं तुझे दिखाई नहीं देता.एक बार ध्यान से देख लो.टाटा मेमोरियल कोई अच्छी जगह नहीं है..

आज उसका भी फोन आया था.अब भी रात रात भर जागते हो.अपना छोड़ पता नहीं किस किस का फ़िक्र करते हो.मैंने कहा-क्या करूँ?बाल बच्चों की फ़िक्र किस माँ बाप  को नहीं  होती.उसने कहा मुझे देखो..पहले अल्सर हुआ फिर कैंसर.टाटा मेमोरियल कोई मजे की जगह नहीं..

कभी उनसे मिला था.बड़े खुश दिल इंसान थे.एकदिन पता चला लकवा मार गया.चलना फिरना बोलना बंद.इलाज़ के बाद भी सबकुछ ठीक नहीं हुआ.एक दिन उनके घर के सामने से गुजरा.सोचा मिलता चलूँ.देखा घर में अकेले हैं.बीवी बच्चे गांव गए हैं.फटा दूध पी रहे थे.मुझे बड़ी कातर नज़रों  से देखे.बैठने का इशारा किया.उनके खाने पीने का इंतज़ाम किया.बीवी पंद्रह दिन बाद आयी.खूब लड़ी.तुम कौन होते हो मेरे मिस्टर को खाना खिलने वाले.उनके "अपने" मर गए हैं क्या...एक दिन पता चला-उन्हें मुक्ति मिल गयी और उनकी नौकरी उनकी बीवी को...

वो बड़ी चंचल थी.उम्र 16 -17 के आस पास.उनके मुक्ति मिलने के बाद कोई "अपना" तलाश रही थी.इतने में कोई बदहवास कार आयी ..और उसे अपने पापा के पास ले गयी...

एक दिन आंटी ने कहा - संजय बाबू, मेरी उम्र 72 साल है.कितना दिन जीऊँगी क्या भरोसा.लेकिन याद रखना जिंदगी आज में ही जीना.कभी "अपने" को भी झाँक लेना.कुछ देर अपने लिए भी जी लेना.उसके कुछ दिनों बाद उन्होंने अपनों का साथ छोड़ दिया.

अक्सर सोचता हूँ अपने लिए जिऊंगा.लेकिन क्या पता था  वक्त के बेरहम थपेड़े  "अपने" को छिन्न भिन्न कर देंगे और "अपना" बीवी की साड़ियों और बच्चों के खिलौनों के अलावा कुछ नहीं बचेगा...

गुरुवार, सितंबर 06, 2012

एक शेर और एक कविता

अब तो जाते हैं मयकदे से मीर,
फिर मिलेंगे अगर ख़ुदा लाया।

एक कविता

ध्यान में आक बैठ गये हो तुम भी न...
मुझे मुसलसल देख रहे हो तुम भी न...
इश्क ने यूं दोनों को हमआमेज किया...
अब तो तुम भी कह देते हो तुम भी न...
कर जाते हो कोई शरारत चुपके से...
चलो हटो तुम बहुत बहुत बुरे हो तुम भी न...
मांग रहे हो रूखसत मुझसे...
और खुद भी हाथ में हाथ लिए बैठो हो तुम भी न...
खुद ही कहो अब कैसे संवर सकती हूं मैं...
आईने में तुम भी होते हो तुम भी न...
दे जाते हो मुझको कितने रंग नए...
जैसे पहली बार मिले हो तुम भी न...

--अमरीन हसीब अंबर 

ये हम जो शहर के पास अपना गाँव बेचते हैं
यक़ीन कीजिये हाथ और पाँव बेचते हैं

ये तुम जो मुझसे मुहब्बत का मोल पूछते हो
तुम्हें ये किसने कहा पेड़ छाँव बेचते हैं

-अब्बास ताबिश


शुक्रवार, मार्च 23, 2012

तबे एकला चलो रे


"कहानी" देखी.बहुत अच्छी लगी.लेकिन कलकत्ता के गलियों में बजता हुआ रबिन्द्र संगीत मंत्रमुग्ध कर गया.वागी तबे एकला चलो रे.
आइये फिर से दुहरायें  ..


यदि तोर डाक शुने केऊ न आसे
तबे एकला चलो रे।
एकला चलो, एकला चलो, एकला चलो रे!
(जब तुम्हारी पुकार कोई न सुने तब एकला यानी अकेले चलो)

यदि केऊ कथा ना कोय, ओरे, ओरे, ओ अभागा,
यदि सबाई थाके मुख फिराय, सबाई करे भय-
तबे परान खुले
ओ, तुई मुख फूटे तोर मनेर कथा एकला बोलो रे!
(ओ अभागे,जब कोई कुछ न बोले,सब मुंह फेर लें,और सभी भयभीत हों,तब अपने अन्दर झांको अपने मुख से अपनी मन की बात बोलो,एकला बोलो रे)

यदि सबाई फिरे जाय, ओरे, ओरे, ओ अभागा,
यदि गहन पथे जाबार काले केऊ फिरे न जाय-
तबे पथेर काँटा
ओ, तुई रक्तमाला चरन तले एकला दलो रे!
(जब सब दूर चलें जाँय,जब कठिन पथरीले राहों पर कोई साथ न दे,तब तुम अपने कंटीले पथ को खुद ही पद-दलित करो,एकला दलो रे.)

यदि आलो ना घरे, ओरे, ओरे, ओ अभागा-
यदि झड़ बादले आधार राते दुयार देय धरे-
तबे वज्रानले
आपुन बुकेर पांजर जालियेनिये एकला जलो रे!
(जब कहीं रोशनी न मिले,रात काली और तूफानी हो,तब अपने ह्रदय की पीड़ा के आवेग में अकेले जलो,एकला जलो रे)

-रबीन्द्र नाथ टैगोर 

शुक्रवार, मार्च 02, 2012

केरला भ्रमण - वायनाड एरिया

इस श्रीमान की श्रीमती, चुन्नू भाई और हमारा होटल

हमारी सराय - ऐसे ही एक घर बनाने की तमन्ना है

भाई राग अलापते हुए

यही केरला है - बला की खूबसूरती

यही केरला है - बला की खूबसूरती

चुन्नू भाई मम्मी के साथ प्राकृतिक आनंद में मग्न

यही केरला है - बला की खूबसूरती

यही केरला है - बला की खूबसूरती

आनंद आनंद .. बस आनंद

यही केरला है - बला की खूबसूरती

आसन जमाये चुन्नू भाई

अब आप देख रहे हैं एसिया का दूसरा बड़ा डैम

केरला प्राकृतिक स्वर्ग 

बकुल-ध्यानम

कुछ मत सोचो - सिर्फ आनंद लो

चाय के बगान

बांस का जंगल

मत भूलिए आप केरला में हैं

इस पौधे का नाम नहीं पता

लेकिन इसकी सुगंध दूर दूर तक फैलती है.

केरला में इसकी खेती होती है

अब का बताएं भैया ये कौन हैं...

जलप्रपात-जहाँ चुन्नू भाई पानी से डर भूलकर नहाने लगे  

जलप्रपात-जहाँ चुन्नू भाई पानी से डर भूलकर नहाने लगे  

वायनाड वन्य जीव अभयारण्य

जहाँ हमने एक हाथी,एक बन्दर और एक मुर्गी देखी

WOW!!! Its Kerala !!!!!

चाय के बगान

बताने की जरूरत है क्या

The same - Above

चुन्नू भाई - मम्मी के साथ मस्ती


बूखो तो जाने - है न सुन्दर ?

मैसूर पैलेस - जिसे देखने ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा लोग आते हैं


मैसूर पैलेस - यकीनन अद्भुत !! अफ़सोस ..अन्दर की फोटोग्राफी मना है

अब फोटो नहीं खिंचवाऊंगा

मैसूर पैलेस का एक दरवाजा

अब तक सबसे साफ़ रेलवे स्टेशन मैंने देखा
बा-मुश्किल तीनों का एक साथ फोटो ढूंढ पाया