सोमवार, जनवरी 17, 2022

मटोगी से भद्राज मंदिर की पैदल यात्रा (Trekking to Bhadraj Temple from Matogi Village)

 

मटोगी से भद्राज मंदिर ट्रैकिंग का संक्षिप्त विवरण. 
भद्राज मंदिर मसूरी के पास एक चोटी पर है.यहाँ जाने के लिए ट्रैकिंग के 3-4 रुट हैं। लेकिन ज़्यादा प्रचलित रुट मसूरी के तरफ से दुधाली गाँव वाला है जिधर से आप मंदिर तक वाहन ले जा सकते हैं. दूसरा प्रचलित रुट है मटोगी गाँव से मंदिर तक की ट्रैकिंग. हमलोग मटोगी गाँव से दिन में 10 बजे चले थे. गाँव वालों का अनुमान था हम लोग 3 घंटे में मंदिर पहुँच जायेंगे. उनका अनुमान ठीक था.. हमलोग 3 घंटे में पहुँच गए थे. मटोगी से भद्राज का ट्रेक 5 किलोमीटर का है. शुरू का 2 किलोमीटर सिर्फ चढ़ाई है.. जिसे मैं ज़्यादा थकाने वाला कहूंगा..बाद का 3 किलोमीटर थोड़ा प्लेन थोड़ा चढ़ाई है. फिर भी कोई ज़्यादा समस्या नहीं आयी.. एकदम धीरे धीरे कछुए की चाल से चलते हुए भी हम 3 घंटे में पहुँच गए थे.. बीच में में हम थोड़ा कंफ्यूज हो गए थे.. और खाने भी बैठ गए इसलिए मंदिर 1:30 दोपहर पहुंचे. वहां से 2 बजे चले और 4 बजे तक मटोगी गाँव आ गए थे..

मटोगी गाँव जाने के लिए आसान रास्ता विकासनगर से लांघा होते हुए हथियारी वाली सड़क पकड़नी है. लांघा से 8 किलोमीटर पर दाहिनी तरफ को एक सड़क ऊपर को जाती है. यहाँ से मटोगी 8 किलोमीटर कड़ी चढ़ाई वाला रोड है. मतलब लांघा से माटोगी की कुल दूरी 16 किलोमीटर. लांघा के बाद रोड ख़राब है. लांघा से 5 किलोमीटर पर पष्टा(PASTA) गाँव पड़ता है.. यहाँ तक कामचलाऊ सड़क है लेकिन उसके बाद भयंकर ख़राब सड़क है.. इसबार की बारिश में तो कई जगह सड़क बह गयी है जिसे जैसे तैसे काम लायक बनाया गया है.. लेकिन अभी भी यह खतरनाक है..  
भद्राज मंदिर विकास नगर के आसपास से ही दूर से चोटी पर दिखता है..
 
मटोगी में 2 रिसोर्ट मैंने देखे. गाँव वालों ने कहा 4 रिसोर्ट हैं आस पास.. 
काम की बात : पूरे ट्रैक में पानी और खाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए साथ लेकर जाइए।
मटोगी से टाटा सूमो जैसी एक गाड़ी सुबह 8 बजे विकासनगर के लिए जाती है। वही गाड़ी विकासनगर से दोपहर बाद 2:30 बजे प्रकाश होटल के सामने से चलती है मटोगी के लिए।इसके अलावा और कोई सार्वजनिक साधन नहीं है मटोगी के लिए।

चलो जी आगे की कहानी चित्रों की ज़बानी। . 





सुन्दर गांव - मटोगी 

पेड़ पर चढ़ने की हसरत सिर्फ फोटो तक 



बादलों का समुन्दर 

मटोगी की शाम 

बादलों का समुन्दर 

मटोगी की शाम 

बादलों का समुन्दर 

मटोगी की सुबह 

मटोगी की सुबह 

और हमारी ट्रैकिंग शुरू 



शुरुआत में गाँव से बाहर का रास्ता 

गाँव 

और अब खड़ी चढ़ाई शुरू 

रास्ते में आराम 

यहाँ पर मटोगी वालों के खेत हैं। कुछ छानी बनी हुई हैं.. यहाँ पर आप आधे रस्ते आ गए.. यह फोटो वापसी का है.. यहाँ हम 1130 के आस पास थे.. 
यह दृश्य कई जगह दिखता है 

और दूसरा पानी का गड्ढा , पहला गाँव से निकलते ही है, पशुओं को पानी पिलाने के लिए है.. 

मंदिर की पहली झलक.. यहाँ से मंदिर 1 किलोमीटर। हमारा अनुमान था 40 मिनट में पहुँच जायेंगे.. 

हम दाएं वाली पगडण्डी से आ रहे हैं।  बाएं वाली PASTA से आ रही है 

मंदिर की पहली झलक..
यहाँ से हमें दाएं ऊपर की तरफ जाना था. लेकिन सीधे अच्छा रास्ता होने की वजह से आगे बढ़ गए.. लेकिन पदचिन्हों में भारी कमी लगी, लगा कुछ गड़बड़ है. फिर वापस हुए और सही रस्ते पर आये.. करीब आधा घंटा बर्बाद हुआ. हालाँकि सीधी  पगडण्डी भी आगे मसूरी वाली सड़क पर मिल जाती है.. लेकिन समय ज़्यादा लगता. 
दाएं ऊपर मुड़ते ही एक और पानी का गड्ढा। हाल ही में बर्फ़बारी हुई है इसलिए आस पास बरफ़ थी और पानी जम गया था.  यहाँ से मंदिर नहीं दिख रहा था.. देर भी हो रही थी. हमने यहाँ साथ लाया हुआ खाना खाया.. तय यह हुआ कि 10 मिनट आगे चलेंगे. अगर मंदिर दिख गया तो ठीक नहीं तो वापस लौट जायेंगे.. 

लेकिन 5 मिनट चलने के बाद ही पक्की पगडण्डी दिख गयी.. 

और मंदिर का गेट दिख गया.. 






मसूरी से आती सड़क.. 

और वापसी.. यहाँ थोड़ी देर बर्फ के साथ खेला गया..

यह पानी की टंकी है. आते समय यह दीवार की तरह दिखी थी. यहीं हमने खाया था 
वही जगह जहाँ से दाए जाना था और हम सीधे चले गए.. 


बायीं वाली पगडण्डी पष्टा जाती है. पष्टा 1100 मीटर पर है और मंदिर 2100 पर..मतलब इस रुट पर चढ़ाई ज़्यादा मिलेगी..दायीं ओर मटोगी गाँव जिधर हम जायेंगे.मटोगी 1600 मीटर पर है.. इसलिए मटोगी से पष्टा की तुलना में चढ़ाई कम होगी..  

और एक किलोमीटर बहुत जल्दी आ गए.. यानि उतर जल्दी रहे हैं.. ख़ुशी की बात है 
  एक रास्ता बाएं भी  है....लेकिन कहाँ जायेगा पता नहीं.. दाहिने मंदिर की तरफ से हम आ रहे हैं.. 

और एक किलोमीटर बहुत जल्दी आ गए.. यानि उतर जल्दी रहे हैं.. ख़ुशी की बात है 

आधे रस्ते उतर गए.. छानी के पास आराम 


और ये गाँव के पास वाला पानी का गड्ढा। बहुत जल्दी उतर गए.. यहाँ हमने बचा खुचा खाना ख़तम किया.. 
पिकनिक के लिए आदर्श जगह है ये.. 
और वापस मटोगी गाँव 

430 पर देहरादून के लिए वापस हो लिए.. 730 शाम तक घर 
-इति यात्रा 




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