बुधवार, जुलाई 31, 2019

कर्नाटक भ्रमण - सोमनाथपुर, तालाकाडू और गगनचुक्की फॉल

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20 तारीख़ की शाम होटल पहुंचकर ये प्लान बनने लगा कि कल कहाँ जायेंगे।चून्नू भाई का कहना था कि हर हाल में कल शाम तक बैंगलोर पहुंचना है।कारन अभी तक पता नहीं।मेरी भी इच्छा थी कि शाम 5 बजे तक पहुँच जाना है।तरह तरह के विचार उठने लगे।सुबह सुबह चामुंडी हिल, फिर वृंदावन गार्डन उसके बाद रामनगरम के पास शोले मूवी की शूटिंग वाली जगह और वापसी।
श्रीमती जी की इच्छा वाटर फॉल देखने की थी।दूसरा प्लान था वृंदावन गार्डन, सोमनाथपुर, तालाकडू और गग्गनचुक्की फॉल।वृंदावन गार्डन का रिव्यु देखा तो पता चला बहुत अच्छा है लेकिन उतना नहीं जितना कहते हैं।मन में वॉटरफॉल भी चल रहा था।बृंदावन गार्डन और सोमनाथपुर उल्टी दिशाओं में थे।इसलिए एक दिन में सब संभव नहीं था।सुबह उठकर निर्णय ये हुआ कि वृंदावन गार्डन का त्याग किया जाय और सीधे सोमनाथपुर चला जाए।

आज 21 जुलाई थी.और चुन्नू बाबू का जन्मदिन.नए कपडे पहनाये गए.हैप्पी बर्थडे बोला गया.और 7 बजे हमारी सवारी चल पड़ी।यक़ीन मानिये मैसूर-सोमनाथपुर-तालकाडू-गगनचुक्की फॉल के रास्ते इतने मनोहर होंगे इसकी तो कल्पना भी नहीं थी।मजा आ गया स्कूटी चलाकर।कार से इतना मजा कतई नहीं आता।कावेरी के पुल से जितनी बार गुजरे उतनी बात फोटो लिए।सबको मजा आया।8:20 पर सोनाथपुर पहुंचे।गेट पर टाइमिंग लिखा था 8:30 से खुलेगा.।तब तक कुछ खा लेते हैं।गेट पर ही 2-3 दुकाने चाय पानी की हैं।एक से पूछा इडली, तो सामने एक छोटी सी दुकान की ओर इशारा किया।वहां फिर से शानदार इडली सांभर और दाल वडा का दबाकर नाश्ता।कितने हुए।नूरिपत्त...अबे ये क्या है..120 रूपीस।उसे 120 रुपये दिए बोतल में पानी भरकर मंदिर के अंदर दाखिल हुए।एंट्री फी 25 रुपये कैश, 20 रुपये कार्ड के साथ।कार्ड दिया और दो टिकट लिए।15 साल से कम के लिए फ्री एंट्री थी।

सोमनाथपुर का मंदिर कलाकृति के दृष्टिकोण से विशिष्ट है।तालकाडू मंदिर कावेरी के बाढ़ में रेत से ढँक गए थे बाद में निकाले गए।वहां जाकर स्पष्ट देखा जा सकता है।

अब थोड़े चित्र देखिये।


कावेरी में मछुआरे - चित्र - चुन्नू भाई


कावेरी हर पुल से अद्भुत दिखती है 

कावेरी 


कुछ चित्र अनायास अच्छे आ जाते हैं




ज्यादातर जगह ऐसे मनोहारी दृश्य मिले

ज्यादातर जगह ऐसे मनोहारी दृश्य मिले











मंदिर के बारे में जानकारी






चित्र - चुन्नू भाई

चित्र - चुन्नू भाई



बाहर आते वक़्त गेट पर इस पर नज़र गयी.एक बन्दे से पूछा यह वर्किंग है?जवाब मिला-हाँ जी,आप चिट्ठी भेजो टेम्पल का स्टाम्प लगाकर आपके पते पर भेजेगा.  

काबिनी और कावेरी का संगम - छायाचित्र - चुन्नू भाई

और ये पहुंचे तालाकाडू



कीर्ति नारायण मंदिर तालाकाडू
तालाकाडू में एक बात और हुई.हम गूगल मैप से चलते गए और गलियों से होते हुए किसी के घर में घुस गए.वो लोग अजीब तरह से देखने लगे.फिर बताया टेम्पल वाला गली उदर है.   




गगनचुक्की फॉल - फॉल चित्र से ज़्यादा सुन्दर है
गग्गनचुक्की फॉल बेहद सुंदर है।इस साल बारिश न होने के कारण फॉल में पानी कम था।फिर भी दृश्य शानदार था।और फॉल जाने के रास्तों का क्या कहना। सूनसान डरावना लेकिन मनोहर।फॉल के पास बहुत लोग थे।लौटने लगे तो गूगल ने दूसरा रास्ता बताया।मुख्य रास्ता यही था।इसपर आवाजाही थी और पुलिस चेकपोस्ट भी था।

तालकाडू में श्रीमती जी ने कहा कि मेरी गाडी में पेट्रोल केवल 2 डंडी बता रहा है, पेट्रोल पम्प पर रुकना।मैंने कहा चलो रस्ते में ले लेंगे।बुरा तब हुआ जब वहां से गग्गनचुक्की फॉल 29 किलोमीटर तक कोई पेट्रोल पम्प नहीं मिला और एक्टिवा का डिजिटल मीटर सिर्फ एक डंडी बचा।लौटते वक़्त भी 18 किलोमीटर और आ गए लेकिन पेट्रोल पम्प नदारद।जहाँ खाना खाया वहां मैप देखा पेट्रोल पम्प 3 किलोमीटर आगे।जान में जान आयी।फिर भी डर ये था कि 3 किलोमीटर भी जा पाएंगे कि नहीं।आखिरी प्लान ये था कि अगर पेट्रोल खत्म हो गया तो मैं पेट्रोल ले जाऊंगा किसी बोतल में।मेरी स्कूटी में पेट्रोल काफी था।खैर ऐसी नौबत नहीं आयी।हमारा रुट था गग्गनचुक्की-मालावली-मद्दूर-बैंगलोर।पेट्रोल हमें मालावली में मिला जो फॉल से 20 किलोमीटर है।

आखिर में एक और कांड हुआ।घर आने पर पता चला मेरा वोटर कार्ड होटल वाले के पास छूट गया।हुआ यूँ था कि होटल वाले ने फोटो कॉपी के लिए वोटर आईडी लिया था।वो देना भूल गया और मैं लेना।दूसरे दिन उसे फ़ोन लगाया।बोला हाँ सर यहीं पर है, ले जाइए।भाई अभी तो बंगलोर आ गया हूँ।पोस्ट कर दो पोस्ट का खर्च दे दूंगा।उसने ओके कह दिया।मैं सोचा 3-4 दिन में फिर याद दिला दूंगा।लेकिन यह क्या दूसरे ही दिन मेरा वोटर आईडी मेरे घर पर।बन्दे ने बाकायदा 42 रुपये लगाकर स्पीड पोस्ट कर दिया था।और भला हो डाक विभाग का जिसने जेट की स्पीड से काम किया।

गग्गन चुक्की फॉल से हम चले 12:40 मिनट पर।गूगल ने कहा 4:10 तक पहुँच जायेंगे।हमने प्लान किया,5:30 तक।लेकिन बैंगलोर के जाम ने वो सितम ढाया कि पहुंचे 7:45 पर।बीच में एक जगह खाना खाया और एक जगह चाय पी।

बने रहिये और अपने छंद में राग अलापते रहिये।

इति यात्रा।


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