बुधवार, जुलाई 31, 2019

नंदी हिल बैंगलोर


नंदी हिल बैंगलोर का एक प्रमुख पर्यटन केंद्र है.जहाँ मैं रहता हूँ वहां से 46 किलोमीटर है.गूगल किया तो दो रास्ते पता चले.एक रास्ता एयरपोर्ट रोड होकर.दूसरा येलाहंका एयरफोर्स के बाद से बाएं..फिर रेलवे लाइन पार करके दांयें..नाक की सीध में.हमने यही रास्ता चुना.सड़क अच्छी है.पतली.दोनों तरफ घनघोर पेड़.ट्रैफिक न के बराबर.कहीं कहीं गन्ने का रस बेचती हुई दुकानें.

बस यूँ स्कूटी उठाई और चल पड़े नंदी हिल.11 बजे चले और खाते पीते 12:30 बजे पहुंचे.पहाड़ी रास्ता नंदी हिल से 8 किलोमीटर पहले शुरू होता है.ऊपर तक सड़क शानदार है.टू व्हीलर पार्किंग एंट्री के बाहर ही है. कार वाले अंदर तक जा सकते हैं.लेकिन असली मजा पैदल घूमने में ही है.3:30 बजे तक हम वहां चहलकदमी किये और पांच पजे तक घर वापस आ गए.

नंदी हिल असल में टीपू सुल्तान द्वारा बनवाया गया एक किला है.ऊपर अच्छा जंगल है और मौसम बेहद सुहावना है.वहां एक रेस्ट हाउस भी है.

अगर आप सार्वजानिक वाहन से जाना चाहते हैं तो बैंगलोर से चिकबलपुर की बस मिलती है.चिकबलपुर जिला मुख्यालय है.नंदी हिल उसी के अंतर्गत आता है.चिकबलपुर से हर आधे घंटे पर नंदी हिल की सेवा है.पहली बस चिकबलपुर से 8 बजे सुबह और आखिरी नंदी हिल से पांच बजे है. किराये की स्कूटी और कारें तो उपलब्ध हैं ही.खाने पीने का साधन नीचे भी है और ऊपर भी. ऊपर थोड़ा महंगा है.बंदरों से सावधान रहें वो आपके हाथ से कोल्ड ड्रिंक, जूस और आइस क्रीम छीनकर पेड़ पर बैठकर बड़े मजे से खाते हैं.

अब कुछ चित्र देखिये.   

रास्ते में गाँव का एक खूबसूरत मंदिर



नंदी हिल के ऊपर एक कुंड है.इसे 1936 में बनवाया गया था.



किले की प्राचीर और प्रहरियों का कमरा

 किले की प्राचीर से नीचे का दृश्य


 किले की प्राचीर से नीचे का दृश्य






और ये खूबसूरत वन


खूबसूरत वन





गाड़ियां ऊपर तक आती हैं.स्कूटर मोटरसाइकिल नहीं आते

यह फोटो थोड़ा एडिटेड है.   


रेस्ट हाउस

रेस्ट हाउस


चाचा नेहरू 

चाचा नेहरू 









बंदरों से सावधान



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