नितिन सुखीजा Jul 26th, 2006 at 3:06 pm
सामने लाल छड़ी हो तो ख़बर होती है,
शहर में बारिश भी पड़ी हो तो ख़बर होती है।
मर रहा हो झोपड़ी में अपनी बुधना तो क्या,
चढ्ढी रैम्प पर चढ़ी हो तो ख़बर होती है।
रेल की दुर्घटना हो तो अच्छा है…
मरते को कैसा लग रहा है… वो ख़बर होती है।
शहर में अमन हो, चैन हो तो बोरिंग है…
कोई इज्जत जो लुटी हो तो ख़बर होती है।
हों खूब हमले॥हों लड़ाइयां॥ लोग मरें॥
ख़बरनवीसों की यूं ही तो गुज़र होती है।
गुरुवार, फ़रवरी 21, 2008
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