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मंगलवार, फ़रवरी 14, 2017

नीमराणा की बावड़ी

 स्वभाव से मैं घुमंतू हूँ और कोशिश रहती है कि पावों में जो चक्करघिन्नी लगी है वो घूमती रहे.तो उसी चक्करघिन्नी को घुमाते हुए शनिवार को हमने प्लान बनाया नीमराणा का.कारन गुडगाँव के पास होना.बहुत पास भी नहीं है.गुडगाँव में मैं जहाँ रहता हूँ वहां से पूरे 100  किलोमीटर दूर.
यहाँ मैं नीमराणा के इतिहास की चरचा नहीं करूंगा.वो आप गूगल से ले सकते हैं.नीमराना जाने के रास्ते में और वहां पहुँचकर जो जो विचार मेरे मन में आये और जो मैंने प्रत्यक्ष देखा वो लिखूंगा.कुछ चित्र तो होंगे ही.

सुबह 10:30  पर हम घर से चले.वाहन चालक का जिम्मा सम्हाला श्रीमती जी ने.सिग्नेचर टावर के पास पेट्रोल टंकी फुल कराई और आगे बढे.पूरे जयपुर हाइवे पर ट्रकों का परिचालन इतना बेतरतीब होता है कि आप चाहकर भी लेन ड्राइविंग न कर पाएं.हर लेन में ट्रक होते हैं.फिर भी हम दाएं बाएं करते हुए 12:30  हंस रिसोर्ट हल्दीराम पहुंचे.पहले हलके हुए फिर हल्का फुल्का खाना खाया.वहां बच्चों के लिए झूले वगैरह भी हैं.10-15  मिनट तक बच्चे खेलत रहे.01:30  बजे हम वहां से आगे बढे.यहाँ से नीमराना 32 किलोमीटर है.

हल्दीराम




बालकों की मस्ती
NH8 पर शाहजहांपुर टोल (टोल टैक्स Rs 121/-) पार करने के बाद हमने सर्विस लेन ले लिया और दाहिने तरफ NH8 पार कर गए.ये जगह नीमराणा ही है,किला/महल यहाँ से 2 किलोमीटर दूर है.2:20 हो चुके थे.किला पहुंचे.गाडी पार्क की. कोई पार्किंग शुल्क नहीं लगा.वहां पर एक ऊंटगाड़ी और एक ऊँट दिखाई दिए.मैंने एक ऊँटवाले से पूछा भाई यहाँ पर देखने घूमने फिरने के लिए क्या क्या है.बोला-एक तो ये महल है.लेकिन ये 2 बजे विजिटर के लिए बंद हो जाता है. सिर्फ जिनका रूम बुक है वो ही जा सकते हैं.दूसरी एक बावड़ी है जो यहाँ से एक किलोमीटर दूर है.देख लीजिये.चाहो तो ऊँट की सवारी भी कर सकते हो.मैं ऊँट पर बावड़ी छोड़ दूंगा.

तबतक चुन्नू भाई ने कहा-पापा पैदल चलते हैं.फिर क्या.ऊँटवाले से रास्ता पूछा और चल पड़े बावड़ी की ओर.एक बात और-ऊँट वाले ने बिलकुल भी ज़ोर जबरदस्ती नहीं दिखाई.आमतौर पर उसका जवाब ये होता-साहब बहुत दूर है बावड़ी.रास्ता ख़राब है.आपके पास दो दो बच्चे हैं.कहाँ पैदल थक जायेंगे.आइये ऊंटगाड़ी से छोड़ देता हूँ.खैर वो भला आदमी था.बावड़ी का रास्ता थोड़ा बदबूदार था.शायद महल का पानी किसी गढ्ढे में गिराते होंगे और पानी सड़ रहा था.ऐसा मुझे लगा.उसके बाद एक बाग़ से होते हुए मुख्य सड़क पर आ गए.हमारे साथ साथ एक ऊँट गाड़ी भी आ रही थी.बावड़ी मुख्य सड़क पर ही है.सड़क पर एक "VIP स्कूल" है और उसके बाद बावड़ी.
बावड़ी के रास्ते का बाग़


बावड़ी के रास्ते का बाग़
बावड़ी के रास्ते

बावड़ी राजस्थान में जगह जगह पाई जाती है.चूँकि राजस्थान अति कम वर्षा वाला क्षेत्र है इसलिए जल संग्रह के लिए ऐसी बावड़ियां बनाई गयी थी.कहते हैं नीमराना की बावड़ी 12 मंज़िल थी लेकिन हमें 9 मंज़िल ही दिखी.लोगों ने कहा 3  मंजिल ज़मीन में दफ़न है.
वर्तमान हालात:बेहद ख़राब.सीढ़ियां बेहद खतरनाक.पेशाब और मलमूत्र की बदबू.कोई रखरखाव नहीं.कई कांच के टुकड़े बिखरे हुए.नीचले स्तर पर तो मैंने कुछ लोगों को दारु पीते भी देखा.खैर हम सावधानी पूर्वक नीचे गए.देखा.फोटो लिए और ऊपर पहुंचे.वो कुआँ भी देखा जिससे पानी बावड़ी में आता होगा.अब दोनों ही सूख गए हैं.सुरक्षा का कोई इंतज़ाम नहीं.साथ में बच्चे हो तो विशेष ध्यान दें.कुएं में न झाकेँ तो बेहतर.डरावना लगता है.प्रशासन की बदइंतज़ामी देखकर दुःख हुआ.नहीं तो ये एक शानदार पर्यटक और ज्ञानवर्धक स्थल होता.

ज्ञान की बात:इतनी बुराई करने मतलब ये नहीं कि वहां न जाया जाय.इस बावड़ी को देखकर इस बात का सहज अंदाज़ लगाया जा सकता है कि राजस्थान में कितनी शानदार जल व्यवस्था थी.इसका ज़िक्र जगह जगह पर अनुपम मिश्र ने की है.अनुपम मिश्र देश के ख्यातिप्राप्त जल वैज्ञानिक कहे जा सकते हैं.उनके बारे में ज़्यादा जानने के लिए गूगल करे और वर्तमान रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने उनका इंटरव्यू लिया था, उसे you tube पर देखें.(अनुपम मिश्र 19 दिसम्बर 2016 को इस दुनिया से गुज़र गए). तो बेहद शानदार और ज्ञानवर्धक जगह देखने के बाद हम 3:45 पर किले के पास वापस आ गए.


बावड़ी का प्रवेश

चुन्नू भाई मम्मी के साथ सीढियां उतरते हुए 

बावड़ी का सबसे निचला तल

बावड़ी की दीवारें

ऊपर आते हुए..हाँफते हुए

बावड़ी का प्रवेश

बावड़ी का ऊपर से लिया गया चित्र

कुआँ जिससे बावड़ी में पानी आता था

बावड़ी के आस पास से लिया गया चित्र. पीछे नीमराणा किला दिखाई दे रहा है.

बावड़ी के आस पास से लिया गया चित्र. सुना है अब यहाँ एक पर्यटक स्थल विकसित करने का प्लान है.

बिटिया रानी बड़ी सयानी

कुछ चित्र कैमरा बरबस खींच लेता है


चल बेटा सेल्फी ले ले रे ..  

किले के रिसेप्शन पर गए.वहां रेट बोर्ड देखकर सर चकरा गया.विजिटर एंट्री प्रति व्यक्ति 1900 रुपये और बच्चों  का प्रति बच्चा 500 रुपये है.विजिटिंग टाइमिंग वीक डेज में 9:30 से 2:30 है.और वीकेंड्स पर 12:30 से 2:30 है.पता चला ये पूरा किला/महल एक होटल है.उस होटल को देखने के लिए 1900 रुपये मुझे बहुत ज़्यादा लगे.और हाँ अगर आप रूम बुक करते हैं तो विजिटर एंट्री फ्री.यानी 1900 रुपये रूम रेट में 100 % adjustible है.रूम रेट 4500 रुपये से 30000 रुपये तक है.ऑनलाइन बुकिंग उपलब्ध है.तो भाई हम 2 :30 के पहले भी आते तब भी किला/महल/होटल नहीं देखते.
वहां से हम 4 बजे चले.अब वाहन चालक का काम मैंने संभाला.5 बजे ओल्ड राव होटल पहुंचे.पराठे और पकौड़े खाये.6 बजे वहां से चलकर 7 बजे घर पहुँच गए.

-इति नीमराणा यात्रा   

1 टिप्पणी:

  1. गजब की तस्वीरें हैं और टिप्पणी। साधुवाद।
    मेरे इस ब्लॉग को भी देखें, जरा बताएं कैसा है?
    https://piktureplus.blogspot.com/

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