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सोमवार, जुलाई 18, 2016

हस्तिनापुर मेरठ में एक घंटा

मेरे एक मित्र सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. एक दिन बोले संजय भाई आ जाइये मेरठ घूमने.मैंने कहा जनाब मेरठ में क्या है जो घूमने आएं. फिर बातों बातों में पता चला कि वहां से 40 किलोमीटर दूर हस्तिनापुर नामक जगह पर काफी अच्छा दर्शनीय जैन मंदिरों का समूह है.फिर क्या था चल पड़े शनिवार को मेरठ.प्लान था शनिवार की शाम को प्रोफेसर साहब के यहाँ.रात्रि विश्राम.फिर सुबह हस्तिनापुर दर्शन.शाम तक गुडगाँव वापसी.
गुडगाँव से मेरठ लगभग 110 किलोमीटर है.हमलोग 2 बजे चले. 3:45 तक वैशाली मेट्रो तक पहुँच चुके थे.उसके बार बीकानेरवाला में कुछ खाया पिया.4:30 पर वहां से चले.वहां से विश्वविद्यालय 70 किलोमीटर है.लेकिन मेरठ तक रोड फ्री नहीं रहता.पूरी सड़क ही मार्किट है.गाजिआबाद , मुरादनगर , मोदीनगर के जाम से बचते बचाते 7 बजे पहुँचने में कामयाब रहे.
फिर क्या गप्पे शप्पें खाने पीने में 12 बज गए.हम सो गए. सुबह फटाफट नहा धोकर तैयार हो गए.चुन्नू भाई को सांढ़ (bull) देखना था.उन्हें bull दिखने ले गए.लेकिन उन्हें सांढ़ पसंद नहीं आया.बोले उन्हें रेड कलर का सांढ़ चाहिए था जिसके गोल्डन सिंग हों.शायद किसी कार्टून में देखे थे.खैर निराश मन से वापस आये.आप सोच रहे होंगे कि भाई सांढ़ देखने गए कहाँ.तो भाई कृषि विश्वविद्यालय है.बहुत बड़ी डेयरी फार्म है वहां.वहां विभिन्न नस्लों की गायें, भैसें हैं और उनपर बकायदा शोध होता है.
एक घटना और घटी. ज़ोर से बारिश होने लगी.हमारा हस्तिनापुर जाने का प्लान ध्वस्त होता दिखने लगा.
11 बजे बारिश बंद हुयी.और फिर सोच विचार कर हमलोग हस्तिना पुर चले.हमारे मित्र ने जाने में असमर्थता ज़ाहिर की.उनकी एक बेटी ज़रूर हमारे गयी. वहां से हस्तिनापुर 41 किलोमीटर है.सड़क बहुत अच्छी है.हाँ बीच बीच में गाँव हैं इसलिए थोड़ा संभलकर चलाना पड़ा. गूगल देव ने पूरा रास्ता सही सही बता दिया.
11 :30 बजे चले थे 1 बजे के आसपास पहुंचे.अभी भी थोड़ी थोड़ी बारिश कि फुहार पड़ रही थी. हमलोगों ने वहां 2 बजे तक आनंद उठाया.
काम की बात:-वहां मंदिर 12 से 2 बजे तक बंद रहते हैं. एक मंदिर तो 4 बजे तक बंद रहता है.वहां पूरे दिन का प्लान बनाकर जांय. बहुत सुन्दर जगह है.मंदिर भी बहुत सुन्दर हैं. और बहुत सारे मंदिर हैं.एक से बढ़कर एक.

लेकिन पूरा परिसर खुला रहता है.वहां बच्चों के लिए बहुत सारी चीज़े हैं.पार्क,झूले वगैरह तो हैं ही. हमलोगों ने नौका विहार भी किया.बच्चे रेलगाड़ी पर बैठे.सुमेर पर्वत पर भी गए.ऊपर से व्यू ग़ज़ब का है. हम किसी भी मंदिर के अंदर नहीं जा पाये.समय न होने के कारन 2 :10 पर लौट पड़े.3 :30 तक मेरठ.4 :20 पर वहां से चले.रास्ते में आम खरीदा.और 8 :10 पर घर आ चुके थे.

हस्तिनापुर चित्रावली


सुमेर पर्वत पर भी गए














नौकायन





धन्यवाद  दोस्तों

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