हमारे एक सीनियर राजीव श्रीवास्तव हैं.कॉलेज के दिनों में उनका एक जबरदस्त गाना था जिसके बिना कोई भी प्रोग्राम अधूरा रहता था.
स्मरण के आधार पर यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ.
हमारी अंटरिया पे आजा रे संवरिया
देखा देखि तनिक होई जाए.
नैन लड़ जइहें, नज़र मिल जइहें
सब दिन का झगडा ख़तम हो जाए.
हम तो हैं भोले जग है जुल्मी
इश्क को पाप कहत हैं अधर्मी,
जग हंसिहें तो कुछ न होइहें
तू हंसिहौं तो जुलम होई जाए.
हमारी अंटरिया पे आजा रे संवरिया
देखा देखि तनिक होई जाए.
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