आगे की कहानी..चित्रों की जुबानी...
सम का सूर्योदय
रेगिस्तानी रास्ते - जिसपर लोग चलते हैं या ऊंटगाड़ी सरपट भागती है.
रेत के टीले..हर जगह मौजूद हैं..ये हवा के साथ एक जगह से दूसरे जगह बनते बिगड़ते रहते हैं.
हमारी ऊँट गाड़ी जिसपर हम लोग काफी दूर तक गए थे.
टोली टीले पर
हमारा वाहन चालक-रास्ते भर रेगिस्तान के बारे में बताता गया.ऊँट क्या खाता है. पाकिस्तान की फ़ौज कहाँ तक घुस आई थी.बोर्डर की शूटिंग कहाँ हुई थी.वगैरह वगैरह...
अब तक आप जान चुके होंगे ये कौन है.
ये दृश्य आम हैं..
जैन मंदिर
बड़ा बाग़
और फिर ..शाम तक स्टेशन पर..और डेल्ही वापसी..फिर से वही चिल्ल पों..पर क्या करें.जैसलमेर का सुकून पाने के लिए दिल्ली को तो बर्दास्त करना ही पड़ेगा.
हाँ जो चीज़ बुरी लगी...फोटोग्राफी चार्जेज कहीं भी 50 रुपये से कम नहीं है.
कुल मिलकर बहुत मजा आया..एक फिर जरूर जाऊँगा जैसलमेर..
जैसलमेर के खुबसूरत चित्र......कितने मनमोहक हैं...
जवाब देंहटाएंregards