हमारे एक मित्र है - पंकज कुमार झा.हमारी मित्र मंडली उन्हें प्यार से झा जी ,झा, झाऊ, इत्यादि बुलाती है.एक दिन झाजी से गुडगाँव के गरमी की बात होने लगी.झा जी बोले यार बड़ी गरमी है .घर से ऑफिस जाता हूँ या घर लंच के लिए आता हूँ ..बड़ी कष्ट होता है ..मैंने कहा - कार ले लीजिये ..और कष्ट को ख़तम कर लीजिये .
इतने में झाजी जो की खट्टर काका से कम नहीं हैं -एक नए नियम का प्रतिपादन कर दिया .कष्ट कन्जर्वेसन ला .एनर्जी कांजर्वेसन ला से कुछ मिलता जुलता .कभी पढ़े थे -ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती केवल उसका रूपांतरण होता है .उसी तरह जीव का कष्ट कभी ख़तम न होने वाली बीमारी है .कष्ट का नाश नहीं हो सकता केवल रूप बदल जाता है .मैंने कहा - वो कैसे झा जी ..बोले देखो ..अभी मैंने AC लगवाई .आराम तो मिल गया किन्तु महीने के बाद भारी बिजली के बिल का कष्ट अभी से है .कार ले लूँगा उसके बाद उसको रखने का कष्ट ..उसकी EMI का कष्ट .चोरी होने का डर .मतलब साफ है .कष्ट ने रूप बदल लिया .रहा उतना ही या कुछ ज्यादा हो गया .
मैंने कहा धन्य है झा जी .आपने एक नया नियम समझाया .मेरी आखें खुल गयीं .
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